पृष्ठ

मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014


नितीश का बिहार

पटना के  गांधी मैदान मे रावण वध के दौरान हुये भगदड मे करीब 35 लोगो की मौत हो गई और सैकड़ो लोग घायल हुए . बिहार मे इस तरह कि  ये पहली घट्ना नही है . मोदी के चुनावी सभा के दौरान भी इस तरह की प्रशासनिक चूक देखी  गई है. ये क्या हो रहा है बिहार मे ? नितीश सरकार पूरी तरह से चूकी हुई  दिख रही है . ( जी हाँ , श्री जीतन राम माझी तो सिर्फ नाम भर के मुख्यमंत्री है ठीक वैसे ही जैसे लालू के जेल जाने पर राबड़ी देवी थी . )

ये वही नितीश कुमार है जिन्हे  आज से ढाई तीन  साल पहले तक भारत के सबसे  बेह्तरीन मुख्यमंत्रियो मे शुमार किया जाता था . जिसने बिहार को देश  के सबसे पिछड़े हुये राज्य से सबसे उभरते हुवे विकसित राज्य के रूप मे बदल डाला था . जिस मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचारियो का सबसे बड़ा शत्रू समझा जाता था . जो  बिना किसी भेदभाव के उसके अपने केबीनेट के  मंत्री हो या कोई प्रभावशाली अफसर वे उन्हे भ्रष्टाचारी साबित होने पर बक्शते नही थे या तो उनसे पद छीन लेते थे या फिर जेल भिजवा देते थे . उस नितीश कुमार को क्या हो गया है. पिछले सोलह वर्षो से जिस बीजेपी के  साथ जद्यू का गठबंधन सफलता पूर्वक चल रहा था फिर अचानक उन्हे  धर्मनिरपेक्षता का कीड़ा कहाँ से काट खाया . जिस मोदी के  हाथ को अपने  हाथ मे लेकर उंचा उठा कर उनके साथ अपने सम्बंधो को गर्मजोशी के साथ दर्शाते नितीश को आखिर क्या हो गया ? शायद बिहार मे मुसलिम वोट इसका कारण रहे हो.  लेकिन नितीश  का यह समीकरण भी पूरी तरह से फेल हो गया . लोक सभा चुनाव मे ज्यादात्तर मुस्लिम वोटरो ने बीजेपी को वोट दिया. र संख्या मे मुसलिमो ने  मोदी की पार्टी को वोट दिया.






लोकसभा 2014 के  चुनाव के परिणाम ने उन्हे बुरी तरह से झंझोड़ दिया  . उनके सारे समीकरण धरे के धरे रह गये . दिन रात नितीश को पानी पी पी कर कोसने वाले लालू की शरण मे जाना पड़ा . एक  अपमान जनक समझौता  करना पड़ा . आदर्शवादी नितीश के वे सारे आदर्श , सारे सिद्धांत जाने कहाँ हवा हो गये ? क्या वे भी सत्ता  की कुर्सी कि खातिर अपने सारे अदर्शो एवं सिद्धांतो को  गंगा कि धार मे बहा आये . एक राष्ट्रिय स्तर के नेता ने अपने स्तर को इतना गिरा  लिया  कि अब वे राज्य स्तर के नेता भी कहलाने  लायक नही रही . सत्ता तेरी माया भी अजीब है. लगता है इस राज्य के लोगो को अभी कुछ दिन और लालू एवं कंग्रेस की अराजक प्रशासन को सहना होगा. जिनके पास इस राज्य के लिये ना कोई  विजन है ना विकास की ठोस योजना . ये तो बस किसी तरह से बिहार राज्य की सम्पदा को लूट कर अपनी तिजोरी भरना चाहते है. भाले  ही सारे बिहार की जनता  त्राही माम क्यू ना करे .