पटना के गांधी मैदान मे रावण वध के दौरान हुये भगदड मे करीब 35 लोगो की मौत हो गई और सैकड़ो लोग घायल हुए . बिहार मे इस तरह कि ये पहली घट्ना नही है . मोदी के चुनावी सभा के दौरान भी इस तरह की प्रशासनिक चूक देखी गई है. ये क्या हो रहा है बिहार मे ? नितीश सरकार पूरी तरह से चूकी हुई दिख रही है . ( जी हाँ , श्री जीतन राम माझी तो सिर्फ नाम भर के मुख्यमंत्री है ठीक वैसे ही जैसे लालू के जेल जाने पर राबड़ी देवी थी . )
लोकसभा 2014 के चुनाव के परिणाम ने उन्हे बुरी तरह से झंझोड़ दिया . उनके सारे समीकरण धरे के धरे रह गये . दिन रात नितीश को पानी पी पी कर कोसने वाले लालू की शरण मे जाना पड़ा . एक अपमान जनक समझौता करना पड़ा . आदर्शवादी नितीश के वे सारे आदर्श , सारे सिद्धांत जाने कहाँ हवा हो गये ? क्या वे भी सत्ता की कुर्सी कि खातिर अपने सारे अदर्शो एवं सिद्धांतो को गंगा कि धार मे बहा आये . एक राष्ट्रिय स्तर के नेता ने अपने स्तर को इतना गिरा लिया कि अब वे राज्य स्तर के नेता भी कहलाने लायक नही रही . सत्ता तेरी माया भी अजीब है. लगता है इस राज्य के लोगो को अभी कुछ दिन और लालू एवं कंग्रेस की अराजक प्रशासन को सहना होगा. जिनके पास इस राज्य के लिये ना कोई विजन है ना विकास की ठोस योजना . ये तो बस किसी तरह से बिहार राज्य की सम्पदा को लूट कर अपनी तिजोरी भरना चाहते है. भाले ही सारे बिहार की जनता त्राही माम क्यू ना करे .