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बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

dhanyabaad

आप सभी मित्रो को बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने मेरे इस ब्लॉग को पढ़ा . मुझे किताबे पढने का शौक तो बचपन से था. लोटपोट,पराग , राजा भैया , बालक , इंद्रजाल कामिक्स जैसी सभी पत्रिकाए पढता था . इसके अलावा बाल पाकेट बुक्स के बाल उपन्यास भी बड़े चाव से पढता था. फ़िल्मी पत्रिकाओ में माधुरी जो मेरे पड़ोस में आता था तथा मेरे घर में धर्मयुग आया करता था उन सभी पत्रिकाओ के एक एक शब्द चाट जाता था. हलाकि मेरी उम्र उस वक्त मुस्किल से दस या ग्यारह बरस रही होगी .औरं कुछ बड़ा हुआ  तो इब्ने सफी की बिनोद hamid सीरिज का चस्का लगा. फिर तो गुलशन नंदा, रानू, प्रेम बाजपाई, बेद प्रकाश शर्मा अदि के उपन्यास खूब पढ़ा . पंद्रह की उम्र में प्रेमचंद का उपन्यास गोदान पढ़ा . फिर तो साहित्यिक  किर्तियो को पढने का ऐसा चस्का लगा जो आज तक कायम है.
इसके साथ साथ चित्रकारी भी चल रही थी. सच पूछिये तो मेरा पहला प्यार चित्रकारी ही है. फिर सनक चदा कार्टून बाने का . इस विधा ने मुझे थोड़े बहुत पैसे और नाम भी दिए. कलकत्ते से छपने वाली  सन्मार्ग दैनिक ने मेरे राजनितिक कार्टून को पहली बार प्रकाशिक किया. इसके लिए मुझे करीब साल भर इंतज़ार करना पड़ा . मेरा पहला कार्टून फीचर लोटपोट में प्रकाशित हुआ .सन्मार्ग में प्रकाशिक होने वाले एक कॉलम के लिए पांच रुपये मिलते थे जब की तीन कॉलम के कार्टून के लिए मात्र पन्दरा रुपये . उस समय मै पूरी तरह से बेकार था और इन पैसो से रंग ब्रुश चैनीस  इंक और हिंदी के अन्य पत्र - पत्रिकाए खरीदता था. कोड में खाज ये हो गया की फिर मुझे नाटक में abhinai करने का शौक चर्र्या . एक तो बेकारी फिर ये बेकार के शौक . मेरे पिताजी के retirement में कुछ एक बरस रह गए थे और वे मेरे लिए bahut चिंतित रहने लगे. लेकिन मुझे तो बस सनक लगी थी ये सब करने की . दुनियादरी  तो मुझेमे थी ही नहीं न ही आज आ  पाई है . पिताजी को उच्चा रक्तचाप हो गया तथा चार महीने की बीमारी में माँ ने भी साथ छोड़ दिया.इसी दौरान मेरी शादी हो गई. सब कुछ इतना अचानक , मात्र दो महीने में हो गया की मै कुछ समझ भी नहीं पाया.
कला साहित्य andar कही दब गया था जो जब तब उंदर से dhadhe मारता रहता था. हा मैं पढना नहीं छोड़ा. मेरी नौकरी कोल इंडिया के एक सब्सिडरी कंपनि  इ.सी.एल  में लग गई. जिंदगी की गाड़ी कुछ पटरी पर आ gai.
अब आप सभी के उत्साह बरदान से वापस साहित्य और ब्लॉग की दुनिया में वापस आ रहा हूँ . आशा है आप सभी दोस्तों का सहयोग इसी तरह मिलता रहेगा.     

2 टिप्‍पणियां:

  1. म भैया,
    नमस्कार,
    अंततः आपने ब्लॉग लिखना शुरू किया. आपके जीवन चरित की जानकारी उत्साहवर्धक रही.
    आपसे कुछ और सारगर्भित ब्लॉग पाने के उम्मीद करता हूँ.

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